Somnath Jyotirlinga, गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के प्रभास पाटन में स्थित भारत के सबसे प्राचीन और पवित्र शिव मंदिरों में से एक है। इसे “प्रथम ज्योतिर्लिंग” माना जाता है, जहाँ भगवान शिव ने स्वयं प्रकाश-लिंग के रूप में प्रकट होकर भक्तों को दिव्यता और सुरक्षा का आशीर्वाद दिया। अरब सागर के किनारे स्थित यह भव्य Somnath Jyotirlinga प्राचीन काल से ही सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और ऐतिहासिक शक्ति का केंद्र रहा है। सदियों में इस मंदिर को अनेक बार आक्रांताओं द्वारा तोड़ा गया, लेकिन हर बार इसे पहले से भी अधिक भव्य रूप में पुनर्निर्मित किया गया—इसलिए इसे “आस्था की अमर ज्योति” कहा जाता है। यहाँ का शांत समुद्र, विशाल मंदिर का प्रांगण, शिव की दिव्य प्रतिमा और शाम की आरती का दृश्य भक्तों के मन को अद्भुत शांति और शक्ति प्रदान करता है। Somnath Temple भारत के आध्यात्मिक इतिहास, चमत्कारों और आस्था की अटूट परंपरा का जीवंत प्रतीक है।
Somnath Jyotirlinga का इतिहास हजारों वर्षों पुराना है और इसका उल्लेख ऋग्वेद, शिवपुराण, स्कंदपुराण और महाभारत तक में मिलता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार चंद्रदेव (Soma) ने अपने ससुर दक्ष के श्राप से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी। शिवजी उनकी भक्ति से प्रसन्न हुए और यहीं पर ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए—इसीलिए इसका नाम पड़ा “Somnath” अर्थात् चंद्र का ईश्वर। इतिहास में Somnath Temple को बार-बार आक्रमणों का सामना करना पड़ा—महमूद गजनवी (1025 ई.), अलाउद्दीन खिलजी, मुमताज़ खान सहित कई आक्रांताओं ने इसे नष्ट किया। लेकिन हर विध्वंस के बाद इसे पुनः बनाकर हिंदू आस्था ने साबित किया कि Somnath केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि अमर आस्था का प्रतीक है।
वर्तमान Somnath Temple का पुनर्निर्माण 1951 में सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रेरणा से हुआ। आज यह मंदिर चलाईथ-सगंध नागर शैली का अद्भुत नमूना है और भारत के सबसे अधिक दर्शन किए जाने वाले ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
Somnath Jyotirlinga दर्शन करने से जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिलने का विश्वास है। शिवपुराण के अनुसार प्रथम ज्योतिर्लिंग होने के कारण यहाँ शिव की उपासना करने से जीवन में उन्नति, मानसिक शांति, संकट से सुरक्षा और ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है। यहाँ दैनिक आरती, रुद्राभिषेक, समुद्र तट पर स्थित त्रिवेणी संगम, और सोमेश्वर कुंड भक्तों को शक्तिशाली आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करते हैं। यह स्थान मोक्षधाम माना जाता है जहाँ दर्शन मात्र से मन दुखों से मुक्त हो जाता है।
Somnath Temple की वास्तुकला चालुक्य शैली पर आधारित है, जिसे “सार्वभौम वास्तु कला” कहा जाता है। मंदिर का मुख्य शिखर 155 फीट ऊँचा है और इसके ऊपर 10 टन का कालयानक ध्वज लहराता है। मंदिर का गर्भगृह, मंडप और सभामंडप ग्रेनाइट पत्थरों से निर्मित हैं।
विशेष बात यह है कि Somnath Temple के सामने अरब सागर की दिशा में हजारों किलोमीटर तक कोई भूमि नहीं है—इस तथ्य को “Bāṇastambha” (Arrow Pillar) पर वैज्ञानिक रूप से अंकित किया गया है।
रात की आरती के दौरान समुद्र की लहरों और शिव आराधना का अद्भुत संगम मंदिर के वातावरण को अत्यंत दिव्य बना देता है।
Somnath Temple प्रतिदिन सुबह से रात तक दर्शन के लिए खुला रहता है। आरती के समय विशेष रूप से भक्तों की भीड़ रहती है और सीजन/त्योहारों में समय बदल सकता है।
| Category | Information |
|---|---|
| Darshan Timings | सुबह 6:00 AM – रात 10:00 PM |
| Aarti Timings | सुबह 7:00 AM, दोपहर 12:00 PM, शाम 7:00 PM |
| Light & Sound Show | रात 8:00 PM – हिंदी/गुजराती (सीजन के अनुसार परिवर्तन) |
| Dress Code | शालीन/सम्मानजनक वस्त्र |
| Photography | मंदिर परिसर में प्रतिबंधित |
| Prasad | मंदिर अनुशासन के अनुसार उपलब्ध |
| Festivals | महाशिवरात्रि, कार्तिक पूर्णिमा, सोमवती अमावस्या |
Somnath पहुँचने के लिए सड़क, रेल और वायु—तीनों प्रमुख मार्ग सुविधाजनक हैं।
भक्त सामान्यतः nearest airport to Somnath temple या Veraval railway station से यात्रा करते हैं।
| Mode | Details |
|---|---|
| Nearest Airport | Diu Airport – 65 km (Somnath के सबसे नज़दीक) |
| Nearest Railway Station | Veraval Junction – 7 km |
| By Road | राजकोट, जूनागढ़, द्वारका, गिरनार से बस/टैक्सी उपलब्ध |
| Major City Distance | राजकोट – 160 km, द्वारका – 230 km, जूनागढ़ – 80 km |
Somnath केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि कई प्राचीन और पवित्र स्थलों का समूह है। भक्त दर्शन के साथ इन स्थानों की यात्रा अवश्य करते हैं।
| स्थान | विवरण |
|---|---|
| त्रिवेणी संगम | हिरण, कपिला और सरस्वती नदियों का संगम स्थल |
| बाणस्तंभ (Arrow Pillar) | प्राचीन भूगोल का अद्भुत प्रमाण |
| गोलोक धाम | श्रीकृष्ण के निर्वाण स्थल के रूप में मान्य |
| सोमेश्वर कुंड | पवित्र स्नान स्थल |
| कपिलेश्वर महादेव | प्राचीन शिव मंदिर |
Somnath Temple सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक दर्शन के लिए खुला रहता है। दोपहर में आरती और शो के समय मंदिर के अंदर व्यवस्था के लिए कुछ स्थान सीमित किए जा सकते हैं। त्योहारों में भारी भीड़ होने के कारण समय में परिवर्तन संभव है। सुरक्षा नियमों के अनुसार मोबाइल और कैमरे मुख्य गर्भगृह में ले जाना प्रतिबंधित है। समुद्र किनारे स्थित होने के कारण शाम की आरती अत्यंत आकर्षक होती है, इसलिए भक्तों को समय से पहले पहुँचना चाहिए।
Somnath की यात्रा करते समय आरामदायक हल्के कपड़े पहनें और गर्मियों में पानी साथ रखें। मंदिर परिसर में साफ-सफाई और अनुशासन बनाए रखना आवश्यक है। बुजुर्ग या बच्चों के साथ यात्रा करने पर भीड़भाड़ वाले दिनों में सावधानी रखें। समुद्र किनारे तेज हवा चलती है, इसलिए शाम के समय अतिरिक्त कपड़े साथ रखना अच्छा रहता है। पास के शहरों में अच्छे होटल और रेस्टोरेंट उपलब्ध हैं।