झारखंड के देवघर में स्थित Baidyanath Jyotirlinga, जिसे बाबा बैद्यनाथ धाम भी कहा जाता है, भारत के सबसे शक्तिशाली और पूजनीय ज्योतिर्लिंगों में से एक है। “देवों का घर” कहलाने वाला यह तीर्थ प्राचीन वैदिक काल से ही आध्यात्मिक साधना, शिव उपासना और तांत्रिक परंपराओं का प्रमुख केंद्र रहा है। स्कंद पुराण, शिव पुराण, लिंग पुराण और कलियुग की अनेक काव्यों में इसकी महिमा वर्णित है। यहाँ भगवान शिव अपने “बैद्य” अर्थात चिकित्सक रूप में विराजमान हैं, इसलिए भक्त मानते हैं कि यह पवित्र ज्योतिर्लिंग रोग, पीड़ा, मानसिक कष्ट और जीवन की प्रमुख बाधाओं को दूर करता है। सावन मास में लाखों कांवड़िए सुल्तानगंज से 105 किमी पैदल जल लेकर बाबा को अर्पित करते हैं—जो इस धाम की अपार लोकप्रियता और दिव्यता का प्रमाण है। देवघर की आध्यात्मिक ऊर्जा, प्रकृति की पवित्रता और मंदिर का दिव्य वातावरण भक्त को गहरी शांति का अनुभव कराता है।
Baidyanath Jyotirlinga का इतिहास अत्यंत प्राचीन और कई पौराणिक कथाओं से संपन्न है। सबसे प्रमुख कथा शिवपुराण में वर्णित है, जिसके अनुसार रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की। तपस्या की शक्ति से प्रसन्न होकर शिव ने उसे एक शिवलिंग प्रदान किया, लेकिन चेतावनी दी कि रास्ते में इसे कहीं भी भूमि पर न रखे। देवताओं ने उसकी योजना असफल करने के लिए ब्राह्मण वेश में छल किया और देवघर में रावण से थोड़ी देर शिवलिंग पकड़ने को कहा। जैसे ही रावण ने शिवलिंग रखा, वह वहीं स्थापित हो गया और यही स्थान Baidyanath Jyotirlinga कहलाया।
ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुसार, इस क्षेत्र में शिव उपासना महाभारत काल से भी पहले प्रचलित थी। पाल वंश, गुर्जर-प्रतिहार, सेन वंश और बाद में मराठा शासन के दौरान इस मंदिर का कई बार विस्तार और पुनर्निर्माण हुआ। 21 छोटे-छोटे मंदिरों का समूह, तांत्रिक साधना का उल्लेख, मध्यकालीन शास्त्रों में देवघर का महत्व, और श्रावणी मेले की हजारों वर्षों पुरानी परंपरा—ये सभी दर्शाते हैं कि Baidyanath Dham भारतीय धार्मिक इतिहास का एक जीवंत और निरंतर विकसित होता अध्याय है।
Baidyanath Jyotirlinga को “आरोग्य-धाम” यानी रोग मुक्त करने वाला धाम कहा जाता है। यहाँ भगवान शिव अपने चिकित्सक स्वरूप में भक्तों की मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं। मान्यता है कि जो भक्त यहाँ जलाभिषेक करता है, उसका शारीरिक एवं मानसिक संतुलन प्रबल होता है। सावन में सुल्तानगंज से गंगा जल लाकर कांवड़ यात्रा करने का विशेष पुण्य माना गया है। यह धाम शक्ति-उपासना, तंत्र-साधना और गूढ़ विद्या के लिए भी प्राचीन काल से प्रसिद्ध रहा है। शिवगंगा सरोवर में स्नान कर दर्शन करने से विशेष फल मिलता है।
Baidyanath Temple की वास्तुकला नागर शैली पर आधारित है, जिसमें पिरामिडाकार 72 फीट ऊँचा शिखर मंदिर की पहचान माना जाता है। गर्भगृह में स्थित ज्योतिर्लिंग भूमि में थोड़ा धँसा हुआ है, जो इसे अन्य ज्योतिर्लिंगों से अलग बनाता है। मंदिर परिसर में 21 छोटे मंदिर हैं, जिनमें पार्वती मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर, माता काली मंदिर और हनुमान मंदिर प्रमुख हैं। शिवगंगा नामक पवित्र सरोवर मंदिर का ऐतिहासिक हिस्सा माना जाता है। गर्भगृह में जलार्पण और रुद्राभिषेक की प्राचीन पद्धतियाँ आज भी वैसी ही हैं जैसी हजारों वर्ष पहले थीं।
यहाँ दर्शन सुबह से देर शाम तक उपलब्ध रहते हैं। भीड़ के दिनों में समय बदल सकता है, इसलिए सुबह जल्दी पहुँचना सबसे अच्छा माना जाता है।
| Category | Information |
|---|---|
| Darshan Timings | सुबह: 4:00 AM – दोपहर 1:00 PM, शाम: 3:00 PM – 9:00 PM |
| Aarti Timings | प्रातः 4:30 AM, शाम 7:30 PM (त्योहारों में परिवर्तन संभव) |
| Special Puja | रुद्राभिषेक, जलाभिषेक, महामृत्युंजय जप |
| Photography | गर्भगृह में पूर्ण प्रतिबंध |
| Dress Code | पारंपरिक एवं शालीन वस्त्र अनुशंसित |
Baidyanath Jyotirlinga तक पहुँचना आसान है। रेल, बस और एयरपोर्ट से इसकी कनेक्टिविटी बेहतर है।
| Mode | Details |
|---|---|
| Nearest Railway Station | Jasidih Junction (7 km) – सर्वाधिक उपयोग किया जाने वाला स्टेशन |
| Devghar Railway Station | 3 km (लोकल रूट के लिए उपयुक्त) |
| Nearest Airport | Deoghar Airport (15 km) – नई उड़ानें उपलब्ध |
| By Road | रांची, पटना, भागलपुर, असनसोल से नियमित बसें उपलब्ध |
| Local Transport | ऑटो, ई-रिक्शा और टैक्सी आसानी से उपलब्ध |
Devghar एक प्रमुख तीर्थ नगरी है जहाँ मंदिरों, पहाड़ों और प्राकृतिक स्थलों की भरपूर विविधता मिलती है।
| Place | Distance | Highlights |
|---|---|---|
| शिवगंगा सरोवर | 0.2 km | पवित्र जल, स्नान का महत्व |
| नवलाखा मंदिर | 3 km | भव्य स्थापत्य, रेड स्टोन |
| तपोवन पहाड़ | 8 km | गुफाएँ, साधना स्थल |
| त्रिकूट पर्वत | 20 km | रोपवे, प्राकृतिक सौंदर्य |
| नंदन पहाड़ | 3 km | झील, पार्क, परिवार हेतु उत्तम |
मंदिर में सुबह-सुबह जलार्पण का विशेष महत्व माना जाता है। भीड़ वाले दिनों में सुरक्षा कारणों से गर्भगृह में प्रवेश क्रमबद्ध किया जाता है। सावन के पूरे महीने मंदिर 24 घंटे खुला रहता है। सामान्य दिनों में दोपहर में एक घंटे का विराम रहता है। गर्भगृह में धक्का-मुक्की से बचने और जल का अत्यधिक प्रयोग न करने की सलाह दी जाती है।
गर्मी के मौसम में पानी और हल्के कपड़े साथ रखें। सावन में अत्यधिक भीड़ होती है, इसलिए समय से पहले पहुँचें। गर्भगृह में मोबाइल, कैमरा और बड़े बैग अनुमति नहीं हैं। दिव्यांग और वरिष्ठ नागरिकों के लिए अलग सहायता व्यवस्था भी उपलब्ध है। मंदिर परिसर में जूते रखने व प्रसाद की सुव्यवस्थित दुकानें मौजूद हैं।
मान्यता है कि यहाँ सच्चे मन से जल अर्पित करने पर भगवान शिव हर प्रकार के रोग और मानसिक कष्ट दूर कर देते हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि जहाँ-जहाँ रावण के शरीर के अंग गिरे, वहाँ शक्तिपीठ बने, और जहाँ शिवलिंग स्थापित हुआ, वह ज्योतिर्लिंग बना। Baidyanath Jyotirlinga को ‘कामना सिद्धि स्थान’ कहा जाता है — यहाँ विवाह, संतान, सफलता और आरोग्य की कामनाएँ पूर्ण होने की मान्यता है। श्रावणी मेला विश्व का सबसे बड़ा शिव मेला माना जाता है। जलार्पण के समय ‘बोल बम’ की ध्वनि पूरे परिसर को दिव्य ऊर्जा से भर देती है।