महाराष्ट्र के एलोरा गुफाओं के समीप स्थित Grishneshwar Jyotirlinga Temple बारह ज्योतिर्लिंगों में से अंतिम और अत्यंत पूजनीय मंदिर माना जाता है। यह मंदिर भगवान शिव के ‘घृष्णेश्वर’ स्वरूप को समर्पित है और इसे धराशिव, कुंडलिका या गुश्मेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर की दिव्य आभा, लाल पत्थरों से निर्मित संरचना, प्राचीन शिल्पकला और आध्यात्मिक वातावरण भक्तों को शिवभक्ति की अनुभूति से भर देता है। यहाँ आने वाले भक्त मानते हैं कि घृष्णेश्वर महादेव के दर्शन करने से कष्ट समाप्त होते हैं, मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। एलोरा गुफाओं के निकट स्थित होने के कारण यह स्थल ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
Grishneshwar Temple का इतिहास पुराणों, विशेषकर शिवपुराण में वर्णित पौराणिक कथा पर आधारित है। कथा के अनुसार, सुधर्मा और सुदेहा नामक दंपत्ति की संतान नहीं थी। सुदेहा ने अपनी बहन घृष्णा का विवाह सुधर्मा से करवा दिया, जिसके बाद घृष्णा ने भगवान शिव की उपासना की। घृष्णा की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे पुत्र प्रदान किया, जिससे सुदेहा ईर्ष्या करने लगी और उसने बच्चे की हत्या कर दी। घृष्णा ने पुनः शिव भगवान से प्रार्थना की और भगवान शिव ने बच्चे को जीवित कर दिया। उसी स्थान पर भगवान शिव ने ज्योतिर्लिंग स्वरूप में दर्शन देकर स्वयं को घृष्णेश्वर नाम से पूजित होने का वरदान दिया।
वर्तमान मंदिर 18वीं शताब्दी में मराठा साम्राज्य की रानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा भव्य रूप में पुनर्निर्मित कराया गया। यह मंदिर आज भी उनकी भक्ति और धर्मनिष्ठा का प्रतीक है।
Grishneshwar Jyotirlinga शिवभक्तों के लिए अत्यंत पवित्र स्थल है। मान्यता है कि यहाँ दर्शन करने से जन्मों के पाप नष्ट होते हैं और शिव कृपा से जीवन में शांति व समृद्धि आती है। यह मंदिर शिव–शक्ति एकता का प्रतीक माना जाता है। शिवपुराण के अनुसार, जो भक्त यहाँ श्रद्धा से जलाभिषेक करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। ज्योतिर्लिंग का कंपन, मंदिर की पवित्र ध्वनियाँ, वैदिक मंत्रोच्चार और पूजा-पद्धति भक्तों के भीतर गहन आध्यात्मिक अनुभव उत्पन्न करती है। यह स्थान सदियों से साधकों और भक्तों की साधनाओं का केंद्र रहा है।
Grishneshwar Temple की वास्तुकला मराठा शैली की उत्कृष्ट कारीगरी प्रस्तुत करती है। लाल बेसाल्ट पत्थर से निर्मित मंदिर का शिखर आकर्षक नक्काशियों से सुसज्जित है। गर्भगृह में स्थित शिवलिंग साधारण आकार का किन्तु अत्यंत शक्तिशाली माना जाता है। नंदी भगवन की विशाल प्रतिमा, सुंदर खंभे, शिल्पित दीवारें, देवताओं की मूर्तियाँ, और नक्काशीदार मंडप इस मंदिर को विशिष्ट रूप प्रदान करते हैं। मंदिर के प्रवेश द्वार पर शैव और वैष्णव दोनों परंपराओं को समर्पित मूर्तियाँ दिखाई देती हैं, जो इसे अनूठा बनाती हैं। मंदिर के भीतरी और बाहरी हिस्सों की शिल्पकला मध्यकालीन भारतीय कला की श्रेष्ठता दिखाती है।
| Category | Information |
|---|---|
| Darshan Timings | सुबह 5:30 AM – रात 9:30 PM |
| Afternoon Break | 3:00 PM – 4:00 PM (कभी-कभी बदलता है) |
| Aarti Timings | प्रातः 5:30 AM, शाम 7:30 PM |
| Special Abhishek | प्रातः एवं विशेष त्योहारों पर |
| Photography | परिसर में सीमित अनुमति |
| Dress Code | परंपरागत व शालीन वस्त्र |
| Mode | Details |
|---|---|
| Nearest Airport | औरंगाबाद एयरपोर्ट – 30 किमी |
| Nearest Railway Station | औरंगाबाद रेलवे स्टेशन – 28 किमी |
| By Road | औरंगाबाद, नासिक, पुणे एवं मुंबई से बस/टैक्सी उपलब्ध |
| Local Transport | ऑटो, टैक्सी और निजी वाहन आसानी से मिलते हैं |
| Place | Distance |
|---|---|
| Ellora Caves | 1 किमी |
| Kailasa Temple | 1 किमी |
| Daulatabad Fort | 15 किमी |
| Bhadra Maruti Temple | 25 किमी |
| Aurangabad Caves | 30 किमी |
मंदिर सुबह 5:30 बजे खुलता है और रात 9:30 बजे तक दर्शन के लिए उपलब्ध रहता है। दोपहर में एक घंटे का विराम रखा जाता है। विशेष पर्व और शिवरात्रि के दौरान श्रद्धालुओं की अत्यधिक भीड़ होती है, इसलिए समय से पहले योजना बनाना आवश्यक है। अभिषेक और रुद्राभिषेक सुबह के समय करना शुभ माना जाता है।
Grishneshwar Jyotirlinga महाराष्ट्र के एलोरा, औरंगाबाद के निकट स्थित है। यह एलोरा गुफाओं से मात्र 1 किमी दूरी पर है और पर्यटकों के लिए सबसे अधिक सुलभ धार्मिक स्थलों में से एक है।
वर्तमान मंदिर का पुनर्निर्माण मराठा साम्राज्ञी अहिल्याबाई होल्कर ने 18वीं शताब्दी में कराया था। उन्होंने कई अन्य ज्योतिर्लिंगों का भी जीर्णोद्धार कराया।
सुबह का समय जलाभिषेक, रुद्राभिषेक और शांतिपूर्ण दर्शन के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। त्योहारों पर भीड़ अधिक होती है।
मंदिर परिसर में सीमित फोटोग्राफी की अनुमति है, लेकिन गर्भगृह में फोटोग्राफी पूर्णतः प्रतिबंधित है।