तमिलनाडु के पवित्र द्वीप रामेश्वरम (Rameshwaram) में स्थित Ramanathaswamy Temple भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में एक अत्यंत पूजनीय स्थल है। हिंदू धर्म में यह स्थान विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह वही द्वार है जहाँ भगवान श्रीराम ने समुद्र पार करके लंका विजय के बाद भगवान शिव की पूजा की थी। Rameshwaram Jyotirlinga की महिमा इतनी व्यापक है कि इसे तीर्थयात्राओं का मुकुट कहा जाता है—क्योंकि यहाँ की यात्रा काशी यात्रा को भी पूर्ण करती है। भक्त मानते हैं कि यहाँ दर्शन करने से जीवन में किए गए सभी पापों का क्षय होता है और आत्मा को मोक्ष का वरदान प्राप्त होता है। समुद्र के तट पर स्थित यह मंदिर अपनी अनोखी शिल्पकला, लंबी गलियारों की भव्यता और आध्यात्मिक ऊर्जा के लिए विश्वभर के श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।
Rameshwaram Jyotirlinga का इतिहास रामायण काल से जुड़ा हुआ है। कथा के अनुसार, लंका विजय के बाद भगवान श्रीराम ने ब्रह्महत्या दोष से मुक्ति पाने हेतु भगवान शिव की स्थापना करने का संकल्प लिया था। श्रीराम के आदेश पर हनुमानजी हिमालय से शिवलिंग लाने गए, लेकिन विलंब होने पर माता सीता ने रेत से एक लिंग का निर्माण किया, जिसे “रामलिंगम” कहा जाता है। बाद में हनुमानजी द्वारा लाया गया शिवलिंग भी यहाँ स्थापित किया गया, जिसे “हनुमंत लिंगम” कहा जाता है। समय के साथ विभिन्न राजवंशों—चोल, पांड्य और नायक राजाओं—ने इस मंदिर का विस्तार किया। मंदिर का प्रसिद्ध 1,200 मीटर लंबा कॉरिडोर, जो विश्व का सबसे लंबा मंदिर गलियारा माना जाता है, नायक राजाओं द्वारा निर्मित है। इतिहास में इस मंदिर को कई हमलों और प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ा, किन्तु हर बार इसे पुनः भव्य स्वरूप दिया गया। आज यह मंदिर भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत का अद्वितीय प्रतीक है।
Ramanathaswamy Temple हिंदू धर्म के सबसे पवित्र स्थानों में गिना जाता है क्योंकि यहाँ स्वयं भगवान श्रीराम द्वारा स्थापित ज्योतिर्लिंग विराजमान है। मान्यता है कि यहाँ दर्शन करने से आत्मा को पवित्रता प्राप्त होती है तथा जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। यह मंदिर चार धाम और बारह ज्योतिर्लिंगों दोनों की श्रेणी में आता है, जिसका अर्थ है कि इसकी महिमा क्षत्रों और धर्मग्रंथों में समान रूप से वर्णित है। यहाँ के तेईस तीर्थ स्नान (Agni Theertham सहित) अत्यंत शुभ माने जाते हैं, जिन्हें करने के बाद शिवलिंग के दर्शन से पुण्य कई गुना बढ़ जाता है। श्रद्धालु मानते हैं कि यहाँ की पूजा उनके समस्त कष्टों का निवारण करती है और जीवन में समृद्धि का आशीर्वाद देती है।
Rameshwaram Temple द्रविड़ शैली की अद्वितीय वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है। मंदिर की सबसे प्रमुख विशेषता इसका विश्व प्रसिद्ध कॉरिडोर है, जिसमें 1,212 स्तंभ हैं। प्रत्येक स्तंभ पर की गई नक्काशी और उसकी समरूपता दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देती है। मंदिर परिसर में स्थित गर्भगृह, उत्तरी एवं दक्षिणी गोपुरम, विस्तृत प्रांगण और पवित्र जलकुंड इसकी आध्यात्मिक भव्यता को और प्रखर बनाते हैं। तेईस तीर्थों में स्नान का विधान इस मंदिर को और भी अनूठा बनाता है। प्रत्येक जलकुंड का अपना धार्मिक महत्व है और श्रद्धालु क्रमवार स्नान करके शिवलिंग के दर्शन करते हैं। वास्तुकला, आध्यात्मिकता और ऐतिहासिकता का यह सुंदर संगम Rameshwaram को भारत के प्रमुख तीर्थों में सर्वोपरि स्थापित करता है।
नीचे Rameshwaram Temple के नियमित दर्शन और आरती समय दिए गए हैं (समय मौसम के अनुसार बदल सकता है):
| Category | Information |
|---|---|
| Morning Darshan | 5:00 AM – 1:00 PM |
| Evening Darshan | 3:00 PM – 9:00 PM |
| Morning Ritual (Spadikam) | लगभग 5:10 AM – 6:00 AM |
| Special Pooja Timings | मंदिर प्रशासन द्वारा निर्धारित |
| Note | त्योहारों पर समय परिवर्तित हो सकता है |
Rameshwaram देश के विभिन्न हिस्सों से सड़क, रेल और हवाई मार्ग द्वारा अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। नीचे प्रमुख पहुँच मार्ग दिए जा रहे हैं:
| Mode | Details |
|---|---|
| By Air | निकटतम एयरपोर्ट – मदुरै (170 KM)। वहाँ से टैक्सी/बस उपलब्ध। |
| By Train | Rameshwaram Railway Station से भारत के प्रमुख शहरों के लिए ट्रेन सुविधा मौजूद। |
| By Road | मदुरै, रामनाथपुरम, कन्याकुमारी और तमिलनाडु के अन्य शहरों से सीधी बसें। |
| By Car | Pamban Bridge से द्वीप तक सुंदर ड्राइव मार्ग उपलब्ध। |
Rameshwaram एक प्रमुख तीर्थ स्थान होने के साथ-साथ प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत संगम है।
| Place | Distance |
|---|---|
| Agni Theertham | 500 meters |
| Dhanushkodi | 20 KM |
| Pamban Bridge | 12 KM |
| Gandhamadhana Parvatham | 3 KM |
| Dr. APJ Abdul Kalam Memorial | 2 KM |
मंदिर प्रतिदिन प्रातः से रात्रि तक निर्धारित समय के अनुसार खुला रहता है। विशेष पूजाएं तथा अभिषेक निश्चित समय पर आयोजित किए जाते हैं। भक्तों को सलाह दी जाती है कि वे भीड़भाड़ वाले दिनों में समय से पहले पहुँचे ताकि सभी अनुष्ठानों में सम्मिलित हो सकें। यात्रा के दौरान मंदिर परिसर में शालीन वस्त्र पहनना अनिवार्य है। फोटोग्राफी मुख्य मंदिर प्रांगण में प्रतिबंधित है। जलकुंडों में स्नान करने के बाद सीधे गर्भगृह में दर्शन करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
रामेश्वरम जैसा पवित्र स्थान यात्रा के दौरान मन और शरीर दोनों की पवित्रता की अपेक्षा रखता है। गर्मियों में तेज धूप के कारण हल्के कपड़े, पानी और आवश्यक वस्तुएँ साथ रखें। भीड़भाड़ वाले दिनों में दर्शन के लिए पर्याप्त समय रखें। यदि तीर्थ स्नान करना है तो सुबह जल्दी पहुँचना बेहतर होता है। मंदिर परिसर में स्वच्छता बनाए रखना और नियमों का पालन करना अत्यंत आवश्यक माना जाता है। बुजुर्ग या बच्चों के साथ यात्रा कर रहे हों तो उनके आराम का विशेष ध्यान रखें। स्थानीय मार्गदर्शक से जानकारी प्राप्त कर यात्रा को और भी सरल बनाया जा सकता है।