Trimbakeshwar Jyotirlinga, महाराष्ट्र के नासिक जिले के त्र्यंबक नगर में स्थित भारत के सबसे प्राचीन और पवित्र शिव मंदिरों में से एक है। यह वह स्थान है जहाँ गोदावरी नदी का उद्गम होता है, और माना जाता है कि यहाँ किया गया हर धार्मिक अनुष्ठान व्यक्ति के पापों का नाश कर मुक्ति का मार्ग खोलता है। Trimbakeshwar Temple प्राकृतिक सुंदरता, घने हरियाली, पर्वतों और पवित्र जलधाराओं से घिरा हुआ है, जिसके कारण इसका आध्यात्मिक वातावरण अद्वितीय माना जाता है। यहाँ का शांत और दिव्य माहौल लाखों भक्तों को गहन आस्था और भक्ति के साथ भगवान शिव के दर्शन के लिए आकर्षित करता है। यह मंदिर केवल पूजा का स्थान नहीं बल्कि योग, साधना और मोक्ष का पावन द्वार माना जाता है।
Trimbakeshwar Temple का इतिहास हजारों वर्षों पुराना है और इसका वर्णन कई पौराणिक ग्रंथों—स्कंद पुराण, शिव पुराण, और भागवत पुराण—में मिलता है। मान्यता है कि यहां गौतम ऋषि तपस्या किया करते थे और उनकी कठोर साधना से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें त्रिदेवमय ज्योतिर्लिंग का आशीर्वाद दिया। इसी कारण इस मंदिर के शिवलिंग में ब्रह्मा, विष्णु और महेश—तीनों के लिंग दिखाई देते हैं, जो इसे अन्य सभी ज्योतिर्लिंगों से अद्वितीय बनाता है।
मंदिर का वर्तमान स्वरूप पेशवा नाना साहेब द्वारा 18वीं शताब्दी में राजसी स्थापत्य शैली में बनवाया गया था। काले पत्थरों से निर्मित यह भव्य मंदिर मराठा वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण माना जाता है। यहाँ गोदावरी नदी के उद्गम के कारण इसे “दक्षिण का काशी” भी कहा जाता है। अनेक राजवंशों, संतों और भक्तों ने इस मंदिर की मान्यता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। Trimbakeshwar Jyotirlinga आज भी वैदिक परंपराओं, धार्मिक अनुष्ठानों और शांति की खोज करने वालों का मुख्य केंद्र है।
Trimbakeshwar Temple का आध्यात्मिक महत्व अत्यंत गहन है। यहाँ स्थित त्रिदेव स्वरूप ज्योतिर्लिंग अद्वितीय है, जो सृजन, पालन और संहार—तीनों शक्तियों का मिलन दर्शाता है। माना जाता है कि यहाँ पूजा करने से ग्रहदोष, पितृदोष और कालसर्प दोष का निवारण होता है। यही कारण है कि यहाँ कालसर्प दोष पूजा, रुद्राभिषेक, और महा मृत्युंजय जप विशेष रूप से किए जाते हैं।
गोदावरी नदी के उद्गम के कारण इसे पुण्यभूमि कहा गया है और यहाँ किया गया दान-पुण्य, श्राद्ध और तर्पण अत्यंत फलदायी माना गया है। Trimbakeshwar Jyotirlinga मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करने वाला पवित्र स्थान माना जाता है, जहाँ भक्तों की हर मनोकामना से शिव स्वयं प्रसन्न होते हैं।
Trimbakeshwar Temple मराठा काल की पारंपरिक स्थापत्य शैली में बना एक भव्य मंदिर है। काले बेसाल्ट पत्थर से निर्मित यह मंदिर अपने त्रिकोणीय गर्भगृह और त्रिदेव स्वरूप लिंग के कारण अत्यंत विशिष्ट माना जाता है। मंदिर की दीवारों पर सुंदर शिल्पकारी, देव मूर्तियाँ, नक्काशीदार स्तंभ और धार्मिक प्रतीक उकेरे गए हैं।
गर्भगृह में जल हमेशा भरा रहता है जो शिव की अनंत ऊर्जा का प्रतीक है। मंदिर परिसर में कुंड, सभामंडप और यज्ञ स्थल मौजूद हैं, जहाँ वैदिक अनुष्ठान निरंतर चलते रहते हैं। यह संपूर्ण निर्माण पर्वतों और प्रकृति से घिरा होकर दिव्यता का अद्भुत अनुभव कराता है।
Trimbakeshwar Temple प्रतिदिन सुबह से शाम तक भक्तों के लिए खुला रहता है, और विशेष अनुष्ठानों के कारण समय में थोड़े बदलाव हो सकते हैं।
| Category | Timings / Information |
|---|---|
| Morning Darshan | 5:30 AM – 9:00 AM |
| Afternoon Darshan | 1:00 PM – 4:00 PM |
| Evening Darshan | 6:00 PM – 9:00 PM |
| Special Pooja Timings | कालसर्प दोष पूजा और रुद्राभिषेक प्रातःकाल में |
| Aarti | सुबह और शाम निर्धारित समय पर |
Trimbakeshwar Jyotirlinga तक पहुँचना बहुत आसान है क्योंकि नासिक से इसकी दूरी कम है और सभी प्रमुख परिवहन मार्ग उपलब्ध हैं।
| स्थान | विवरण |
|---|---|
| कुशावर्त कुंड | गोदावरी नदी का उद्गम स्थल |
| ब्रह्मगिरी पर्वत | त्र्यंबक की सबसे ऊँची चोटी |
| गंगाद्वार | पवित्र तपस्थली |
| अंजनारी पर्वत | हनुमानजी का जन्मस्थान माना जाता है |
मंदिर के आसपास कई ऐतिहासिक, धार्मिक और प्राकृतिक स्थल हैं जो यात्रा को और भी विशेष बना देते हैं।
| स्थान | विवरण |
|---|---|
| कुशावर्त कुंड | गोदावरी नदी का उद्गम स्थल |
| ब्रह्मगिरी पर्वत | त्र्यंबक की सबसे ऊँची चोटी |
| गंगाद्वार | पवित्र तपस्थली |
| अंजनारी पर्वत | हनुमानजी का जन्मस्थान माना जाता है |
मंदिर का मूल रूप प्राचीन काल में था, परंतु वर्तमान संरचना 1777 में रानी अहिल्याबाई होलकर द्वारा बनवाई गई थी। इसके बाद महाराजा रणजीत सिंह ने इसकी सोने की चोटी बनवाई और 2021 में कॉरिडोर निर्माण से मंदिर को नया वैश्विक स्वरूप मिला।